Sunday, March 21, 2021
Saturday, September 19, 2020
चुनाव : प्रचार - प्रसार
नए प्रत्याशी जनता को अपनी शक्ल और चिह्न दिखाएं तो थोड़ा समझ आता है, लेकिन वो प्रत्याशी जिन्हें जनता वर्षों से देख रही हैं या देख चुकी हैं, ये मज़ाक लगता है। किसी भले मानुष की आवाज है कि "काम बोलता है" , तो वो बोली प्रचार के लिए कम पड़ गया है क्या जो आपको ऐम्पलीफाइ करना पड़ रहा है? खैर हमनी के का पता हम बुडवक जो हैं।
जब कनिष्ठ कक्षाओं में हुआ करते थे न तो 5-7 महानुभाव चिलचिलाती धूप में नंगे पांव बाहर निकल आते थे इनकी लाउडस्पीकर को सुनकर पता है क्यों, ये पर्ची बांटते थे। पर्ची में अभ्यर्थी का नाम, हांथ जोड़ के खिंचवाया हुआ फोटो, चुनाव चिह्न और नंबर इतना पढ़ करते पैंट के पॉकेट में डाल लेते थे। दूसरी बार जब पर्ची को पढ़ते थे एक लंबी लिस्ट होती थी जिन्हें हमलोग वादे बोलते हैं और अंत में पढ़ते थे 12500 प्रतियां, 17000 प्रतियां जो कि हरेक प्रति सबसे नीचे होती थी । उस वक्त बस ये सोंचते थे कि अभी पर्ची बांटा जा रहा है, फलाना तारीख को स्कूल में चुनाव होगा , और हमलोगों की छुट्टी होगी। ना तो उसकी परवाह होती थी कि लिस्ट में क्या हैं और ना ही इसकी की ये लिस्ट ही क्यों हैं?
मनोरंजन तो बच्चों को हर चीज़ में मिल जाता है इसमे भी मिलता था, किसके पास सबसे ज्यादा प्रति है?
आज ये सोचते हैं कि वो हज़ारों प्रतियां उसी तरह से बच्चों को मनोरंजन के लिए बांट दिया करते थे, खैर एक पल के लिए मान लेते हैं कि प्रतियां मनोरंजन हों कोई बात नहीं लेकिन वो नेता, उनके जोड़े हुए हांथ, इत्यादि सब के सब क्या मनोरंजन ही थे?
जितने वाले तो भूल जाते होंगे कि प्रिंटिंग प्रेस वालों की कितना रुपैया दिए थे, लेकिन हारने वाले को जरूर याद होगा कि ये वास्तव में मनोरंजन पर किया गया व्यय था?
उसकी तो बात ही छोड़िए की क्या होना चाहिए नहीं होना चाहिए जब हम विधायक बनेंगे तब पूछ लीजियेगा 😁😁। मज़ाक कर रहे थे 😂
आज वो सिहरी हुई पांव बूथ तक को जाने को तैयार हैं, लिस्ट आज भी हैँ, क्या बोले नए वाले!!! अरे पन्ने नए हुए हैं वो तो अब भी वही हैं।
लेकिन आज ये उंगली प्रतियाँ जमा करके मनोरंजन नहीं करनेवाली हैं। ये घिस गए हैं वादे वाले पन्ने गिन गिन के। घिसने से चमक आ गयी है, अरे दिमाग मे भई ।
Tuesday, June 23, 2020
Ploughman
Tuesday, May 19, 2020
Books are rum
बड़े प्यारे लगते हैं पन्ने अगर किताब अनदेखे मिल जाएं
बड़े मुश्किल होते हैं नाटक अगर वो समझ ना आएं
ख्याल ये होता है कि पूरे रसगुल्ले मुँह में हों
ये पुस्तक गन्ने होते हैं साहब चूसने का भी धैर्य होने चाहिए
ये फुल स्टॉप भोले होते हैं पथिक को रोकते रहते हैं
मुसाफिर जितना थकता है थकावट कमती जाती हैं
संदेह नहीं कि बड़े निष्ठुर होते हैं ये गन्ने दाँतों से चैलेंज करते हैं
अब क्या बताएं आपको दाँतों को लड़ना भी यही सीखाते हैं
हसरत ऐ दिल तो यूँ होता है कि किताबें याद हों जाएं
गन्ने से द्रव्य निकलता है साहब रवा बड़े कम बनते हैं
पुस्तकें द्रव्य देती हैं आप घड़ा बढ़ा लें अपनी
रवा तो तपने से ही बनेंगे आग बढ़ा लें अपनी
विचलित ना हो मन समय का महत्व सोच सोच के
वक्त मीठे होते नहीं हैं रस में डूबा कर बनाने होते हैं
किताबों के रस के भी अपने मिठास होते हैं
आप जितना पियोगे वो बढ़ते ही रहते हैं
Saturday, April 25, 2020
Commas of the life
Thursday, April 23, 2020
रिसोर्स : जिंदा भी तेरा, राख भी तेरा
इज्जत से इस्तेमाल करोगे तो इज्जत बचा पाओगे,
लूटोगे तो एक दिन खुद को भी दांव पे लगा दोगे।
मुझे क्या है बे आज भी तेरा हूं कल भी रहूँगा,
तू सोच ले क्या आज लूटोगे क्या बचा के रखोगे।
मूक हूँ तो क्या हुआ बे मेरी जिंदगी खुद का नहीं है,
अबे जिंदा तो जिंदा, राख भी होकर ये जिंदगी तुम्हारी ही है।
बेटा ये कविताएँ लिख पढ़ के कुछ नहीं होगा,
यूँ त्रुटियाँ गिनने से रत्तीभर फर्क़ नहीं पड़ेगा।
अगर कर सको तो ठीक नहीं तो हथोड़े कौन पीटेगा,
तू नहीं सोचा तो ये बारात तो खाक भी चाट जाएगा।
भाई उतावला ना हो बस बर्बाद करता हुआ ना देख,
हथोड़ा नहीं बाबु हाथ पीट और प्रणाम करके देख।
बस बेइज्जती के हकदार को सीधा इज्जत देके देख,
आंसू कम पड़ जाएंगे उनको पानी देके देख।
Wednesday, April 22, 2020
निद्रालोप
शिकायत दिल से करती हैं
दिल कसमें गिनता है
ये नजरें भींग जाती हैं
आंसू गिरते हैं उनसे
ये दिल को भी भींगाते हैं
ये दिल फिर भी धड़कता है
चाहत उनकी करता है
अचानक बीच उनकी
ये दिमाग है आ जाता
ये दोनों को एक एक करके
बेवकूफ है कहता
वो दोनों करते हैं ऐसे
की जैसे बच्चे हों माँ के
ये मष्तिष्क बाज ना आता है
जोरों का थप्पड़ जड़ता है
नजरें घूरती हैं दिल को
ये दिल भी घूरता है उसको
फिर दिमाग भी उनको, अपनी करुणा दिखाता है
दोनों को एक ही साथ अपनी बाहों में भरता है
फिर तीनों के लफ्जों से
ये सुर एक साथ निकलता है
की जिंदगी हैं मिली हमको
तो इसको जाया ना करना है
कीचड़ को भी भर-भरके
मटमैली काग़ज़ों पर ही
अपना भाग्य है लिखना
अपना भाग्य है लिखना
Tuesday, April 21, 2020
पिकनिक_एक_कहानी
Thursday, March 5, 2020
सोशल मीडिया : एक सोंच
Sunday, February 9, 2020
Translating a picture
Thursday, December 19, 2019
Writing a picture : erotic plus marvellous
There is a midday of winter. The sun is shining with its slight warmth. Chilly wind seems restless. Overall the environment is balanced with the hybrid of the sunlight and the wind. A boy is laying on the comfortable hard grass putting his head on the lap(thighs) of his lover one. Softness of the thighs that is sufficient to don't let feel the harshness of the grass. The girl is sitting and doesn't want to lay because she feels comfort at the level of extreme in her position. Careless wind doesn't understand their sentiments. The wind is repeatedly blowing and dispersing the untied hair of the pigeon(girl). They are as staring at each other that any disturbances seem little.They (disturbances) are trying to touch them but they are frequently burning as the couple is covered with the shield of the warmth love. The fingers (that are cold due to Chilly wind) of the girl is moving very slowly among the many hairs of the boy. The boy is feeling tranquility (relax)a lot. They were lost in the love as they couldn't veiw the sun was being snatched its warm lights slowly.
..... The picture formed?
Any artist here who can help me in the drawing these words as craft?
चित्र लेखन
सर्दियों का एक दोपहर है। सूरज अपनी हल्की गर्मी के साथ चमक रहा है। सर्द हवा अशांत जान पड़ती है। कुल मिलाकर पर्यावरण सूर्य के प्रकाश और हवा के हाइब्रिड से संतुलित है। एक लड़का अपने प्रेमी की गोद (जांघों) पर अपना सिर रखकर आरामदायक सख्त घास पर लेटा हुआ है। जांघों की कोमलता जो घास की कठोरता को महसूस नहीं होने देती है। लड़की बैठी है और लेटना नहीं चाहती क्योंकि वह अपनी स्थिति में चरम के स्तर पर आराम महसूस करती है। लापरवाह हवा उनकी भावनाओं को नहीं समझती है। कबूतरी (लड़की) के खुले बालों को हवा बार-बार उड़ा रही है और फैला रही है। वे एक-दूसरे को लगातार ऐसे देख रहे हैं कि कोई भी परेशानी बहुत कम लगती है। वे (परेशानियां ) बार बार उन्हें छूने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन वे अक्सर जल जा रहे हैं क्योंकि युगल गर्मजोशी से प्यार के कवच से घिरे हुए हैं । लड़की की उंगलियों (जो सर्द हवा के कारण ठंडी है) लड़के के कई बालों के बीच से बहुत धीरे-धीरे आगे बढ़ रही है। लड़का बहुत शांति (आराम) महसूस कर रहा है। वे प्यार में इस तरह खो गए थे कि वे ये भी महसूस नहीं कर पाते रहे थे सूरज अपनी गर्म किरणों को धीरे धीरे उनसे छिन रहा था।
..... पिक्चर बनी?
यहां कोई भी कलाकार जो मुझे इन शब्दों को शिल्प के रूप में चित्रित करने में मदद कर सकता है?
Thursday, November 14, 2019
काग़ज़ की कलम से
लिखने वाले ने लिखना चाहा...
हुआ ये कि उसे शब्द ना मिला।
काग़ज़ बोला - बेटा किसकी खोज में है .. अरे गिरा दे स्याही को जहां तहां , फिर सोचने के लिए पूरा पन्ना तुम्हारे सामने होगा। बस ध्यान ये रहे की स्याही पन्ने से बाहर न गिरे क्योंकि फिर सोचने की तनख्वाह बदल जाएगी। क्योंकि नीचे बेडशीट था।
लिखने बाला थोड़ा सनकी था उसने काग़ज़ की बात मान ली, उसने कलम तोड़ी और इंक उड़ेल दिया। हुआ ये कि पन्ने पर इंक का फव्वारा जैसा एक धब्बा सा लग गया। लिखने बाला फिर से सोच में पड़ गया...
काग़ज़ फिर बोला- किसकी खोज में हैं जनाब... अरे डूबा दे किसी पानी से भरे बर्तन में, फिर सोचने के लिए पूरा बर्तन भर पानी तेरे सामने होगा। बस ध्यान रहे पीने योग्य पानी में मत डालना नहीं तो तनख्वाह बदल जाएगी ।
लिखने वाले ने ये भी आजमाया।
उसने इंक से रंगे काग़ज़ को एक पानी से भरे बाल्टी में डुबो दिया (शायद वो नाले में फेंकने के लिए रखा था)।
बाल्टी भर पानी रंगीन हो गया और वो काग़ज़ गल के फट गया।
लेकिन लिखने बाला अभी भी सोच में था कि आखिर ये काग़ज़ कहना क्या चाह रहा था। उसने ये बात अपने दोस्तों को सुनाया कुछ ध्यान से सुने,कुछ सुनकर हंसे और कुछ लोगों ने तो सुनना ही टाईम की बर्बादी समझा। अंततः उसे उत्तर उनमे से किसी दोस्त से नहीं मिला।
लिखने वाले ने फिर से सोचने की कोशिस की..... बहुत सोचने पर उसने पाया कि --
पहली दफा काग़ज़ का कहना ये था कि अपने अस्त्रों को फैला कर के उनकी उपयोगिता तराशने की कोशिश करो, बस ध्यान ये रखना की उतने दूर में ही बिखेरना जितनी दूर में तुम्हारी निगाहें उसे आसानी से देख सकें नहीं तो फिर उपयोग करने के बजाय तुम उसे ही ढूंढते रह जाओगे, यानी तनख्वाह बदल जाएगी,
और दूसरी बार जब काग़ज़ ने देखा कि लिखने बाला अब भी सोच में है तो समझाया कि अपने अस्त्रों को दूसरी नजरिए से देखिये, यानी पानी में भिगोने को कहा, बस ध्यान ये रहे की आप अभी अपने अस्त्र तराश रहे हैं इसलिए तराशे हुए चीजों को नष्ट करके ना तराशे, यथार्थ पीने योग्य पानी में ना डुबोयें।
..... लिखने बाला अज्ञानी अभी तक इसी उलझन में है कि उस काग़ज़ के सजीवता को सर्वोपरि समझे जो कि अपनी जान देकर ज्ञान दे गया या उसके दिए गए ज्ञान को सर्वोत्तम समझे जिसके लिए उसके दाता की जान चली गई।
Monday, September 23, 2019
Importance of expired newspapers
Motive squeezed from this frivolous blog is - increase your importance widely and frequently but never loose your impression in any worsen-worse situation.
Friday, August 16, 2019
नीम और गुलाब
🥀ROSE --- तऽ चचा और सब ठीक है न...
🌿NEEM--- हाँ भीया मिलाजुला के सब ठीके है आप सब की कृपा से , और अप्पन सुनाबऽऽ
🥀ROSE --- अरे का बताएं रोज मलिया आता है और बाल- बुतरू के तोड़ के लेके चल जाता है , आप ही ठीक हैं जी कोई तंग नहीं करता है l
🌿NEEM - आऽऽऽ बुआ आप नहीं जानते हैं न अबरिये न नागपंचमी मे हाथ गोड तोड़- ताड़ के सब ठूठ कर दिया है l तुम्हीं ठीक है हो दो दिलों को जोड़ते तो हो।
🥀ROSE - हाँ जी किसको मन करता है कि बेटा के बलि देकर दो दिलों को जोड़ें , लेकिन क्या किया जाय उनका (गुलाब का ) कर्म ही वही है, तो अपने कर्म से पीछे कैसे हटें।
🌿NEEM - ये तो है भाई 😢, अरे काहे फिक्र करते हो कर्म ही पूजा बाला नारा नहीं सुने हो का ,पृथ्वी पर अमर कौन आया है, अच्छा है न बुआ की किसी की जिंदगी का मिठास बन रहा है l
एगो हम हैं कि दूरहीं से लोग नफरत करते हैं l
🥀ROSE --- हाँ ये तो है, अरे हम तो चाहते हैं कि तोरे नियन हमको भी काट - कूट के ठूठ कर दे लेकिन बचवन के छोड़ दे l लेकिन ई कांटा-कूसा से किसको लगाव है I
🌿NEEM --- ऐसन बात कहते हो कि बउआ.. अरे जो पिता इस तरह के पुत्र को जन्म दे उसकी बराबरी भला हम कैसे कर सकते हैं। तुम धन्य हो भाई की ऐसे पुत्र को जन्म देते हो।
🥀ROSE - आपको लोग इज्जत की निगाहों से देखते हैं , शान से घर मे ले जाके आपकी डाली को खोसते हैं , आप तो इतने महान हो कि लोग आपको औषधि निर्माण मे उपयोग करते हैं।
एक हम हैं कि हमरा तो छोड़ ही दीजिये बेटवा के भी छिपा के अन्तर्वस्त्र मे ले जाते हैं, शुभचिंतकों को देते हैं और इधर - उधर फेंक देते हैं गाड़ी घोड़ा आता है और चूर - चार के बर्बाद कर देता है l और कहीं अगर कोई एकतरफ़ा प्यार के शिकारी अपने काल्पनिक gf को गलती से दे दिया तब तो पूछिये ही मत कंटीले (👠 हील बाला ) सैन्डल से मसल देते हैं l
🌿NEEM-- ई तो तू सरासर झूठ बक रहा है कि जहाँ- तहां फेंक देते हैं अरे एक्सेप्ट करने के बाद कितना इज्जत से, कितना प्यार से पुनः अन्तर्वस्त्र मे डाल कर घरवालों से बचते- बचाते हुए लौटा कर घर लाते हैं और प्रेम पूर्वक अपने डायरी की सुनहरे पन्नों मे रख देते हैं l औऱ समय समय पर निकाल कर याद करते हैं और फ्री मे लिपस्टिक का पान करवाते हैं 😂
🥀ROSE - अच्छा भीया अब बस करऽ बाल- बच्चा के बारे मे में ऐसे बोलते हैं अच्छा लगता है क्या , चलऽ छोड़ऽ ऊ सब.
और बताइए नश्ता पानी हो गया I
🌿NEEM-- तोरे नियन गमला मे नही न रहते हैं भीया की प्रेम के माली पानी देने आयेंगे जहिया इंद्र भगवान के दिमाग में चुठरी खटपटायेगा ओहिया नास्ता और भोजन सब एक ही बार हो जाएगा। लगता है कि तोहरा मिल गया है। ठीक है जाइए जलपान कीजिए है न....
🥀ROSE -... जी ... Byy मिलते हैं फिर कभी है न.....
NEEM 🌿- ठीक हको byy....
Saturday, August 3, 2019
लास्ट पेज ऑफ द् कॉपी..
लास्ट पेज ऑफ द् कॉपी
कॉपी का लास्ट पेज हमेशा इसी ख्याल में रहता होगा कि ना तो बेचारे की लाइफ का कोई पता है और ना ही इसका पता है कि कब कौन क्या लिख कर चला जाए। पीछे वाली कूट से चिपके उस पेपर को यह भी पता नहीं होता कि कब कहां पटका जाएगा या कब बारिश की पानी में डूब जाएगा। परंतु हमेशा इस आत्मविश्वास के साथ जिता है कि लेखक इसके मदद के बिना किसी साफ-सुथरे पेज को नहीं भर सकता।जब कभी कोई कलम नहीं चल रहा हो झट से पीछे वाले पेज पर रगड़ देते हैं। न फटने की परवाह और ना ही गंदा होने का डर। जब भी कोई मामूली सा फार्मूला लिखना हो या कोई छोटी सी कैलकुलेशन करना हो तो झट से आखिरी पेज पर ही हमारी उंगलियां दौड़ जाती है। जब कभी किसी ने थोड़ा सा पेपर मांग लिया तो आखिरी पेज का बलिदान देने में जरा सा भी नहीं सकुचाते। जब कभी गुनगुनाने का मन कर रहा हो या बेवजह भी एक कलम आखिरी पेज को ही अपना साथी बना लेता है।
इन्हीं ख्यालों के साथ एक दिन जब पुरानी कॉपियों के लास्ट पेज को निहारना शुरू किया तो यह दिल खुशी से झूम उठा सारी बातें एक साथ याद आने लगी।
कहीं घर की सामग्री के फटे हुए लिस्ट, कहीं बेमतलब की शायरियां, कहीं-कहीं 8-10 सिग्नेचर जो कि महानुभावों ने बेमतलब घसीट दिए थे, कहीं कुछ अटपटे सवाल और कहीं- कहीं संस्कृत के कुछ हलंत विसर्ग।
मेरे खयाल से तो आखिरी पेज जितना इंट्रेस्टिंग कॉपी का कोई और पेज ही नहीं होता क्योंकि इस पेज के ऊपर ना तो VVI का मुहर होता है और ना कि किसी होमवर्क का।
Saturday, June 29, 2019
STEPS TOWARDS COACHINGS
In now a days approx 7 crore students are studying in the coaching centers around India. Kota is known for a coaching hub in our country for preparation for IIT & NEET. These Coachings demandas a large amount from every student. Can’t say all the desirous join them but too many children are fighting with their fate.
A poor father arranges these money by doing hard work and taking loans just because his child could be do well. But parents as well as the student himself don’t understand that their child can do this or not. Some students are ofcourse succeed but not all. The students who failed some of them want to suicide and they do. Do you know why? They thinks that their parents how arranged money and he has failed despite hard work too.
Quarter of Indian student who are studying in the Coachings are not happy. They always want to get away from there as soon as possible.
When I used to study in the coachings in the junior classes, then the situation that time was such that the teacher who used to come in the government school, they do not worked properly. Due to this I have joined and I think that the same conditions exist today. The same teachers who teaches in the school teach better in their private Institute than he teach in the government school.
In today’s time there is not being regular classes and they loss the precious time of the precious students.
True to say that the people have changed the literal meaning of tuition, in these days it has taken the form of a bussiness.
Recently approx 2dozens students were died due to fire braked at a coaching in the gujrat(INDIA)……
(कोचिंग शब्द कोच से बना एक शब्द है जिसका मतलब होता है प्रशिक्षक।
भारत शिक्षा के क्षेत्र में एक जागरुक देश है। हर माता-पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा कुछ अच्छा करे, जिसके लिए मुझे कुछ भी करना पड़े।
कोचिंग ने मेरे जीवन में और अब तक बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जब मैं केवल 4 साल का था तो मेरे अभिभावक ने मुझे 2 घंटे की ट्यूशन के लिए एक दीदी के पास भेजते थे । उस समय मैं आंगनवाड़ी जाता था। समय अपनी गति के साथ बितता गया , मैंने कई कोचिंग सेंटरों में लगभग 20 विभिन्न शिक्षकों के साथ अध्ययन किया है। इसलिए मेरे पास कोचिंग की आवश्यकता की और उनमे पढ़ाई का अच्छा अनुभव है। वस्तुतः कोचिंग वह जगह है जहाँ शिक्षक अपना सर्वश्रेष्ठ देने का प्रयास करते हैं इसलिए नहीं कि वे हमारे आसपास शिक्षा का प्रसार कर सकें, इसलिए कि वे विज्ञापन के लिए एक बुद्धिमान छात्र चाहते हैं जिससे वे पैसे कमा सकें।
आज के समय दिन में लगभग 7 करोड़ छात्र भारत में कोचिंग सेंटरों में पढ़ रहे हैं। कोटा IIT और NEET की तैयारी के लिए हमारे देश में कोचिंग हब के लिए जाना जाता है। ये कोचिंग एक छात्र से बड़ी मात्रा पैसा की में मांग करते हैं। यह नहीं कह सकते कि सभी वांछित व्यक्ति उनके क्लास जॉइन कर लेते हैं लेकिन बहुत सारे बच्चे अपने भाग्य से लड़ रहे हैं।
एक गरीब पिता मेहनत करके और कर्ज लेकर इन पैसों का इंतजाम सिर्फ इसलिए करता है ताकि उसका बच्चा अच्छा कर सके। लेकिन माता-पिता के साथ-साथ छात्र स्वयं भी यह नहीं समझ पाते हैं कि उनका बच्चा ऐसा कर सकता है या नहीं। कुछ छात्र जरूर सफल होते हैं लेकिन सभी नहीं। जो छात्र असफल हुए उनमें से कुछ आत्महत्या करना चाहते हैं और वे करते हैं। तुम जानते हो क्यों? उन्हें लगता है कि उनके माता-पिता ने पैसे की व्यवस्था कैसे की और वह कड़ी मेहनत के बावजूद भी असफल रहे।
भारत के एक चौथाई छात्र जो कोचिंग में पढ़ रहे हैं वो कदापि खुश नहीं हैं वे। हमेशा जल्द से जल्द वहां से हट जाना चाहते हैं।
जब मैं जूनियर कक्षाओं में कोचिंग में पढ़ता था, तो उस समय स्थिति ऐसी थी कि जो शिक्षक सरकारी स्कूल में आते थे, वे ठीक से काम नहीं करते थे। इसके कारण मैं कोचिंग लिया और मुझे लगता है कि आज भी वही स्थितियां हैं। सरकारी स्कूल में पढ़ाने वाले वही शिक्षक अपने निजी संस्थान में बेहतर पढ़ाते हैं।
आज के समय में नियमित कक्षाएं नहीं चल रही हैं और वे कीमती छात्रों के बहुमूल्य समय को नुकसान पहुंचाते हैं।
यह कहना उचित होगा कि लोगों ने ट्यूशन के शाब्दिक अर्थ को बदल दिया है, इन दिनों यह केवल एक बिजनेस का रूप ले लिया है।
हाल ही में लगभग 2 दर्जन छात्रों की मौत गुजरात (भारत) के एक कोचिंग में आग लगने के कारण हुई थी....
Thursday, June 27, 2019
Aaltu - Faltu [2]
"Kado" is a pure magdhi word. Its literally hindi meaning is keechad. Word 'paanka ' is used as its synonym. When the clay soil or Black soil are mixed with water, 'Kado 'is formed. In the rainy season sometime when rains, these type of soil convert into a very hard paste that is called ' Kado '. Due to frequently walking of human as well as animals its condition worsens worse.when Somewhere on the clean place it's smells good as the earth's clay but near at any chamfer it smells very messy. I remember that when I was child. I used to go to our farm and market via' Kado ' with my grandfather. On those days my grand father wanted to save me from kado and I wanted to walk on that doing splash. On that time I thought that that was a short time problem for villagers but now, I want to walk on it. but where do I get it these days. Now that types of streets not present in our society. Kado is used in our culture for celebrating Holi.while farming of paddy starts all of the first seeds are bown in the Kado. In the previous eras Kado was used as the house builder cement and some houses were made by only Kado.
Saturday, May 25, 2019
50p से Rs.10 तक का सफर..
Friday, May 24, 2019
AALTU-FALTU [1]
Topic:The fitta of chappal (lace of the slippers)
Wednesday, May 1, 2019
If not you, then who?
The government can provide you a street lamp, but can it turn it onn or off, that ? Do not you have a few minutes to turn off Street Light? that is your responsibility guys. If you do not then who??
https://youtube.com/shorts/rpabfOGZ72M?si=Fa81A3tRSoBd8XWE
शनिवार: अंक ८
दुनिया की कोई भी ताकत उस विचार को नहीं रोक सकती जिसका समय आ गया है: मनमोहन सिंह यह उद्धरण इस तथ्य को दर्शाता है कि जब कोई विचार समय के अन...
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बचपन की वो यादें... सुबह में खाना खाते – खाते या कभी उस से पहले 5-6 लोगों की एक टोली,कुछ सहपाठी...
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