हमने वो गांव देखा है,
गली खलिहान देखा है।
गली की झिटकी से लेकर ,
खुला आसमान देखा है ।
शहर की चकचकी सड़कें ,
हमारा धन्यवाद तुमको।
ये जो रफ्तार दी तूने ,
किसी दिन मैं चुकाऊंगा ।
मैं तुमको गुनगुनाऊंगा।।
हमने वो रात देखा है,
बिन बिजली के तार देखा है।
छुटकी डिबरी से लेकर ,
तड़ित का आग देखा है।
शहर की झिलमिली बिजली,
हमारा धन्यवाद तुमको ।
ये जो रोशनी दी तूने,
किसी दिन मैं चुकाऊंगा ।
मैं तुमको गुनगुनाऊंगा।।
हमने बुखार देखा है,
और बारम्बार देखा है ।
नन्ही फुंसी से लेकर ,
बड़े आघात देखा है ।
शहर के ओ दर अल शिफा,
हमारा धन्यवाद तुमको ।
ये जो संजीवनी दी तूने ,
किसी दिन मैं चुकाऊंगा ।
मैं तुमको ...
हमने वो पाठ देखी है,
खंडहर प्रयोगशालाएं देखी हैं।
शिक्षकों की अल्पता से लेकर ,
बिन उनके मौज देखी है ।
शहर के ओ सुलभ मक़तब,
हमारा धन्यवाद तुमको ।
ये जो विस्तार दी तूने ,
किसी दिन मैं चुकाऊंगा ।
मैं तुमको...
हमने बरसात देखा है ,
कमर तक बाढ़ देखा है ।
सोंधी माटी से लेकर ,
कोस भर सुखाड़ देखा है ।
शहर के ऊंचे निचे तल ,
हमारा धन्यवाद तुमको ।
जो उत्कर्ष दी तूने ,
किसी दिन मैं चुकाऊंगा ।
मैं तुमको ...
हमने वो सूद देखा है ,
पैंचा उधार देखा है ।
दही की बैना से लेकर ,
कर्ज की गाय देखा है ।
शहर के ओ, ईएमआई ,
हमारा धन्यवाद तुमको ।
ये जो सपना संभाला तूने ,
किसी दिन मैं चुकाऊंगा।
मैं तुमको...
हमने तंगहाली देखा है,
फटे बनियान देखा है ।
कलम की किल्लत से लेकर ,
होरी की जान देखा है।
शहर के ओ खुले कारोबार ,
हमारा धन्यवाद तुमको।
ये जो व्यापार दी तूने ,
किसी दिन मैं चुकाऊंगा ।
मैं तुमको गुनगुनाऊंगा
हमने वो जात देखा है ,
उसी की पात देखा है ।
छूत, दुत्कार से लेकर,
भोज का भात देखा है ।
शहर के थोड़ी निष्पक्ष सी दुनिया
हमारा धन्यवाद तुमको ,
जो पहचान दी तूने।
किसी दिन मैं चुकाऊंगा ,
मैं तुमको गुनगुनाऊंगा ।
मैं तुमको गुनगुनाऊंगा।।
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