एक वक़्त था जब डमरू की आवाज सुनकर हाँफते-हाँफते कुल्फीवाले के तरफ दौड़ता था, पीछे से दादा की आवाज आती "आठ आना वाला दु-तीन गो दे देहीं हो" और हाँथ मे चार कुल्फी आ जाता (सबके लिए एक-एक ) थोड़ी देर बाद किसी तरह से लेकर घर पहुंचने पर जब दादी हाँथ से तीन आइस्क्रीम लेतीं तब जाके जान मे जान आती थी।
....................आजकल का तो आइसक्रीम भी अमीरी की बुलंदियों को छू रहा है, 10 रुपया से कम वाला ठेले के अंदर जाता ही नहीं है (बड़ी संयोग से 5 बाला)।
ना जाने कहाँ चले गये वो दिन...
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