Saturday, May 25, 2019

50p से Rs.10 तक का सफर..

एक वक़्त था जब डमरू की आवाज सुनकर हाँफते-हाँफते कुल्फीवाले के तरफ दौड़ता था, पीछे से दादा की आवाज आती "आठ आना वाला दु-तीन गो दे देहीं हो" और हाँथ मे चार कुल्फी आ जाता (सबके लिए एक-एक ) थोड़ी देर बाद किसी तरह से लेकर घर पहुंचने पर जब दादी हाँथ से तीन आइस्क्रीम लेतीं तब जाके जान मे जान आती थी।
....................आजकल का तो आइसक्रीम भी अमीरी की बुलंदियों को छू रहा है, 10 रुपया से कम वाला ठेले के अंदर जाता ही नहीं है (बड़ी संयोग से 5 बाला)।
        ना जाने कहाँ चले गये वो दिन... 

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 हम जितना ही अध्ययन करते हैं   हमें उतनी ही अपनी अज्ञानता का आभास होता है। ~SSA wall 🧱