इज्जत से इस्तेमाल करोगे तो इज्जत बचा पाओगे,
लूटोगे तो एक दिन खुद को भी दांव पे लगा दोगे।
मुझे क्या है बे आज भी तेरा हूं कल भी रहूँगा,
तू सोच ले क्या आज लूटोगे क्या बचा के रखोगे।
मूक हूँ तो क्या हुआ बे मेरी जिंदगी खुद का नहीं है,
अबे जिंदा तो जिंदा, राख भी होकर ये जिंदगी तुम्हारी ही है।
बेटा ये कविताएँ लिख पढ़ के कुछ नहीं होगा,
यूँ त्रुटियाँ गिनने से रत्तीभर फर्क़ नहीं पड़ेगा।
अगर कर सको तो ठीक नहीं तो हथोड़े कौन पीटेगा,
तू नहीं सोचा तो ये बारात तो खाक भी चाट जाएगा।
भाई उतावला ना हो बस बर्बाद करता हुआ ना देख,
हथोड़ा नहीं बाबु हाथ पीट और प्रणाम करके देख।
बस बेइज्जती के हकदार को सीधा इज्जत देके देख,
आंसू कम पड़ जाएंगे उनको पानी देके देख।
Thursday, April 23, 2020
रिसोर्स : जिंदा भी तेरा, राख भी तेरा
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
-
बचपन की वो यादें... सुबह में खाना खाते – खाते या कभी उस से पहले 5-6 लोगों की एक टोली,कुछ सहपाठी...
-
पूरे समारोह की प्रस्तुति देखने के लिए क्लिक करें। निबंध के पृष्ठ
No comments:
Post a Comment