Saturday, May 24, 2025

कला के तिल


जब कभी आप किसी कला का रसास्वादन कर रहे हों जैसे, यदि आप कोई वाक्य पढ़ रहे हों, कोई गीत सुन रहे हों, कोई चित्र देख रहे हों, अभिनय देख रहे हों, और अचानक से कोई चूक हो जाय और वो आपको दिख जाए तो आप उसपर हंसना नहीं। क्योंकि वर्तमान में किया गया वो प्रदर्शन है, जरा जरा सी हुई चूक उस कला के सजीवता और इंसान की अमशीनीकरण का परिचय दे रहा होगा। हरेक वो कला जो अपने आप में नवीन है वो शत प्रतिशत किसी सांचे की ढाल नहीं हो सकती और ना ही होनी चाहिए। हरेक कला स्वतंत्र होनी चाहिए। 

कलाकार कि एक छोटी सी चूक कला को जो सुंदरता प्रदान करती है ये देखने वाले कि दृष्टि ही दिखा सकती है। जिसे हम और आप संवेदनशीलता कहेंगे। उसके इस कच्चेपन की सजीवता शायद उस पल तो घबरा ही देती होगी और हृदय कुछ ज़्यादा रक्त प्रवाहित कर ही देता होगा । पर उस उसमें जो सुंदरता है वो भी बड़े कमाल की होती है। पर हां इसका यह कदापि अर्थ नहीं कि कला में जानबूझकर कोई कमी छोड़ी जाय ताकि वो सुंदर हो। कुछ हलंत विसर्ग छूट जाएं ये और बात है पर हर बार गलती नई और असामान्य हो और पूरी कलाकृति में एकाध हों तो ही ठीक लगती है। 

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 हम जितना ही अध्ययन करते हैं   हमें उतनी ही अपनी अज्ञानता का आभास होता है। ~SSA wall 🧱