Monday, October 17, 2022

2OCT2022 महसूस करती होगी ना ?

 अटकी सी सांसें

सहमी सी आंखें

थरथराते ओंठ 

स्क्रीन पे रेंगती उंगलियाँ 

महसूस करती होगी ना 


धुंधली सी आंखे

उसमें गैलरी की तस्वीरें 

कानों में तेरी 

रिकॉर्डिंग की बातें 

महसूस करती होगी ना 


ये मन की मिल लूँ 

फिर ये कि क्यों दुख दूँ 

दूरी ये या करीबी ?

महसूस करती होगी ना 


पल पल की आहें

हर चेहरे में खोजें

एक झलक को तरसें

हर गली, सड़क, पुराने पड़ाव पे 

बेवजह जो गुजरूँ 

महसूस करती होगी ना 


मिलने से डर भी

उम्मीद ए ललक भी

कैसी खामोशी है ये

ना बोलूँ ना चुप हूँ

हँस हँस गुजरना

रो-रो गुज़ारना

महसूस करती होगी ना


हर खुशी हर दुख में (yahi Khushi, click here) 

तुमको ही ढूँढूँ

ना पाऊँ जब तुमको 

बिलबिला के, यूँ ही 

बेस्वाद हर अच्छे बुरे पल को 

यूँ ही मैं छोड़ूं

महसूस करती होगी ना 


तेरी वो निष्ठुरता 

आंवले सा प्रेम 

दीवाना मैं जिसका 

ना पाऊँ, ना तलाशूँ 

घूंट घूंट के जीना 

बेहोशी मे पीना 

महसूस करती होगी ना... 


No comments:

Post a Comment

Zee Tv Event

 हम जितना ही अध्ययन करते हैं   हमें उतनी ही अपनी अज्ञानता का आभास होता है। ~SSA wall 🧱