Monday, October 17, 2022

16OCT2022

 

तेरे शहर में तुम्हारे सिवा क्या देखूँ, 

इन आँखों को कुछ दिखे तो पुरानी तस्वीर देखूँ ।

तुम जो कहती हो आंसुओं से मैं मन उड़ेल दूँ, 

सूखी आँखों के सिरहाने कैसे लबों पे शब्द लाऊँ?

बिना आंसू, घूंट घूंट रोने को तड़पूँ... 

आसमान ताकूँ तो एक अदृश्य डोर देखता हूँ, 

और, तेरे पवन में उड़ती पतंगों को बाँध चलूँ ।<

No comments:

Post a Comment

ये धूप एक सफर...

  The Song  https://open.spotify.com/track/1ra7DQKmN6LoztXncc2ORk?si=WQzQqWn9ThuiMFA1VJ1P9A