Saturday, April 25, 2020
Commas of the life
Thursday, April 23, 2020
रिसोर्स : जिंदा भी तेरा, राख भी तेरा
इज्जत से इस्तेमाल करोगे तो इज्जत बचा पाओगे,
लूटोगे तो एक दिन खुद को भी दांव पे लगा दोगे।
मुझे क्या है बे आज भी तेरा हूं कल भी रहूँगा,
तू सोच ले क्या आज लूटोगे क्या बचा के रखोगे।
मूक हूँ तो क्या हुआ बे मेरी जिंदगी खुद का नहीं है,
अबे जिंदा तो जिंदा, राख भी होकर ये जिंदगी तुम्हारी ही है।
बेटा ये कविताएँ लिख पढ़ के कुछ नहीं होगा,
यूँ त्रुटियाँ गिनने से रत्तीभर फर्क़ नहीं पड़ेगा।
अगर कर सको तो ठीक नहीं तो हथोड़े कौन पीटेगा,
तू नहीं सोचा तो ये बारात तो खाक भी चाट जाएगा।
भाई उतावला ना हो बस बर्बाद करता हुआ ना देख,
हथोड़ा नहीं बाबु हाथ पीट और प्रणाम करके देख।
बस बेइज्जती के हकदार को सीधा इज्जत देके देख,
आंसू कम पड़ जाएंगे उनको पानी देके देख।
Wednesday, April 22, 2020
निद्रालोप
शिकायत दिल से करती हैं
दिल कसमें गिनता है
ये नजरें भींग जाती हैं
आंसू गिरते हैं उनसे
ये दिल को भी भींगाते हैं
ये दिल फिर भी धड़कता है
चाहत उनकी करता है
अचानक बीच उनकी
ये दिमाग है आ जाता
ये दोनों को एक एक करके
बेवकूफ है कहता
वो दोनों करते हैं ऐसे
की जैसे बच्चे हों माँ के
ये मष्तिष्क बाज ना आता है
जोरों का थप्पड़ जड़ता है
नजरें घूरती हैं दिल को
ये दिल भी घूरता है उसको
फिर दिमाग भी उनको, अपनी करुणा दिखाता है
दोनों को एक ही साथ अपनी बाहों में भरता है
फिर तीनों के लफ्जों से
ये सुर एक साथ निकलता है
की जिंदगी हैं मिली हमको
तो इसको जाया ना करना है
कीचड़ को भी भर-भरके
मटमैली काग़ज़ों पर ही
अपना भाग्य है लिखना
अपना भाग्य है लिखना
Tuesday, April 21, 2020
पिकनिक_एक_कहानी
शनिवार: अंक ८
दुनिया की कोई भी ताकत उस विचार को नहीं रोक सकती जिसका समय आ गया है: मनमोहन सिंह यह उद्धरण इस तथ्य को दर्शाता है कि जब कोई विचार समय के अन...
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बचपन की वो यादें... सुबह में खाना खाते – खाते या कभी उस से पहले 5-6 लोगों की एक टोली,कुछ सहपाठी...
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