Monday, March 18, 2019

गाँव की पार्टी


स्कूल से आया  तो मम्मी बताई की आज न्योता (निमंत्रण) आया है, पूर्वारी टोला से। मुंह में पानी भर आया और दिमाग assume करना शुरू कर दिया। कुछ देर बाद जब क्रिकेट खेलने गया तो वहाँ सबने verify किया कि सबके पास न्योता आया है। और सब खुश थे कि एक साथ बैठकर खाएँगे आज।जल्दी- जल्दी एकाध मैच खेलकर घर आ गये सब। क्यूंकि डर था कि कहीं हम छूट ना जाएं। आज ना तो लालटेन साफ किया और ना ही पढ़ने को बैठा। दिमाग कही ठहर ही नहीं रहा था। तभी दादाजी बुलाए और पूछे की आज पढ़ नहीं  रहा है हो।लड़खड़ाते मुँह से निकला बाबा आज ना।दादा मेरे बहुत प्यारे हैं मान गए लेकिन गोद में  लेके ओरल ही शुरू कर दिए। मुझे भी मजा आया क्यूंकि सबकुछ तो याद था ही। 
     तभी एकाएक दरवाजे की खटख़टाहट सुनाई दी और गोद से उठकर दरवाजे की तरफ भागा और पीछे पीछे दादा। दरवाजे खोला तो दादा से एक आदमी बोले बीज्जै हको चचा (मतलब खाना स्टार्ट हो गया है)।उत्सुकता मेरी आसमान छूने लगी। फिर दादा एक हाथ से टार्च और  दूसरी हाथ से मेरी हाँथ को पकड़कर चले। 
जब पहुंचे तो किसी तरफ से सब्जी की महक ,किसी तरफ से मिठाइयों की सुगंध आ रही थी। तभी सब दोस्त धीरे धीरे पास आने लगे। और देखते ही देखते 8-10 महापुरुष एक जगह खड़ा हो गए। सब के दिल मे एक ही अभिलाषा थी कि कितना जल्दी जल्दी खाने को मिले। तभी प्रबंधक महोदय आए और सबको बैठाने लगे। हमसब बच्चे एक साथ बैठे और सबके  Guardian जस्ट ऑपोज़िट साइड में बैठे। और बार बार हमलोग को हल्ला करने से मना कर रहे थे। but हमनी कहाँ तो सुनाने बाले थे ।देखते देखते पत्तल(plate) परोसा जाने लगा। झटपट हमलोग अपने -अपने हाथ और पत्तल को धो लिया। तभी दादाजी बोले कि हम्मर दंतीया छूट ना गेलौ पवन (मेरे दादाजी हैंड मेड दाँत लगाते हैं वही वाला)।ना टार्च लिया ना चप्पल पहना, सरपट घर की तरफ भागा और एक साँस में दौड़कर ले आया। दादा खुश भी हुए और डांटे भी थोरा सा। तबतक परोसा जा चुका था but अभी खाना शुरू नहीं किया था लोगों ने क्यूंकि चटनी परोसना अभी भी बाकी था .
पत्तल की तरफ देखा तो खाने का बड़ी मन कर रहा था। लेकिन जबतक सबकुछ परोसा ना जाए तबतक हाँथ लगाना सख्त मना था। फिर भी किसी तरह से छुप छुपा कर आधा रसगूल्ला खा ही गए। चटनी परोसा गया और सब ने जी भर के खाया और फिर सारे दोस्त अपने अपने घर की तरफ चल दिए....

1 comment:

  1. थोड़ा हिंदी थोड़ा मगही
    मजा आ गया

    ReplyDelete

शनिवार: अंक ७

  आतिश का नारा और धार्मिक कट्टरता से परे जब हम किसी धर्म के उसके विज्ञान की चेतना से खुद को जोड़ते हैं तो हमारा जीवन एक ऐसी कला का रुप लेता ...