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धूप, धूल और धन्यवाद
हमने वो गांव देखा है, गली खलिहान देखा है। गली की झिटकी से लेकर , खुला आसमान देखा है । शहर की चकचकी सड़कें , हमारा धन्यवाद तुमको। ये जो रफ...
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बचपन की वो यादें... सुबह में खाना खाते – खाते या कभी उस से पहले 5-6 लोगों की एक टोली,कुछ सहपाठी...
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